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धर्मशाला: टीबी मुक्त अभियान से जुडेंगे स्वयं सहायता समूह

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टीबी मुक्त हिमाचल अभियान के तहत एक कार्यशाला का आयोजन जोनल हॉस्पिटल धर्मशाला के सभागार मे किया गया। बैठक की अध्यक्षता स्वास्थ्य निदेशक हिमाचल प्रदेश, डॉ गोपाल बेरी ने की।

डॉक्टर गोपाल बेरी निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं ने बताया कि टीवी मुक्त पंचायत अभियान के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2024 लगभग 800 ग्राम – पंचायत टीबी मुक्त ग्राम पंचायत में निर्धारित मानकों की सत्यापन के बाद टीबी मुक्त पाई गई है।

भविष्य में जल्दी ही इन सभी ग्राम पंचायत को सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने अनुरोध किया की स्वयं सहायता समूह, टीबी मुक्त अभियान के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में जाकर टीबी रोग के बारे में समाज को जागरूक करें ताकि इस रोग का खत्म किया जा सके।

क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम में समाज के हर वर्ग की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है। जन जागरण अभियान के माध्यम से  लोगों में टीबी रोग के प्रति गलत धारणाओं और भ्रांतियां को खत्म करना है। उन्होंने कहा कि क्षय रोग एक श्वास संबंधी संक्रमण है, वर्ष 2018 में क्षय रोग उन्मूलन का पहला विचार रखा गया था। उन्होंने कहा की आज के इस उन्नत समाज में भी इतनी भ्रान्तियाँ और गलतफहमियाँ फैली हुई हैं। समाज को इन भ्रांतियां को मुक्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि टी.बी. फैलने के बारे में बुनियादी तथ्यों की जानकारी नहीं होने के कारण, कलंकित मानसिकता और भेदभाव को ईंधन मिल रहा है।

डॉ अशोक भारद्वाज नेशनल टास्क फोर्स ,अध्यक्ष ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि भारत सरकार ने साल 2025 तक भारत को टीबी मुक्त राष्ट बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे है। उन्होंने कहा की हिमाचल प्रदेश टीवी मुक्त भारत अभियान में अग्रिम भूमिका निभा रहा है।

राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब सामुदायिक स्तर पर क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम चलाकर जनभागीदारी बढ़ाने का फैसला किया है। टीबी रोग की समय पर जांच हो ताकि टीबी की बीमारी को फैलने से बचाया जा सकता है। टीवी लाइलाज बीमारी नहीं है.

इसका इलाज संभव है। लक्षण दिखने पर मरीज को तुरंत अपनी जांच करवानी चाहिए।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश गुलेरी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की पहल पर जिला कांगड़ा में ‘निक्षय मित्र’ कार्यक्रम के जरिए टीबी को खत्म करने का जनभागीदरी अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत निक्षय मित्र बनने वाले मरीजों को पोषण, डायग्नोस्टिक और रोजगार के स्तर पर मदद की जा रही है।